संघर्षी व्यंजन (Consonants of Friction) भाषा विज्ञान में एक महत्वपूर्ण श्रेणी के व्यंजन वर्ण होते हैं जिनमें व्यक्ति के मुख के अंग एक दूसरे के साथ संघर्ष करते हैं जिससे ध्वनि पैदा होती है।

इन व्यंजनों का उच्चारण प्राणवायु के बाहर निकलते समय संकीर्ण होता है, और इसलिए इन्हें “उष्म व्यंजन” भी कहते हैं।

संघर्षी व्यंजन

संघर्षी व्यंजनों की संख्या अलग-अलग भाषाओं में भिन्न हो सकती है, लेकिन सामान्य रूप से इनमें चार व्यंजन होते हैं। यह चार व्यंजन होते हैं – श, ष, स, ह।

इस लेख में, हम संघर्षी व्यंजनों के बारे में विस्तार से जानेंगे, उनके उच्चारण और महत्व के साथ।

पहले आप को उच्चारण प्रयत्न के आधार पर व्यंजन प्रकार से रूबरू कराना चाहता हूं. उच्चारण प्रयत्न के आधार पर व्यंजन को 8 भागों में बांटा गया है.

  1. स्पर्शी (16) – क, ख, ग, घ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, प, फ, ब, भ.
  2. संघर्षी (4) – श, ष, स, ह.
  3. स्पर्श-संघर्षी (4) – च, छ, ज, झ.
  4. नासिक्य / अनुनासिक (5) – ङ, ञ, ण, न, म.
  5. पार्श्विक (1) – ल.
  6. प्रकंपी / लुंठित (1) – ऱ
  7. उत्क्षिप्त (2) – ड, ढ.
  8. संघर्षहीन / अंतस्थ (4) – य’, ‘र’, ‘ल’, और ‘व’.

 संघर्षी व्यंजनों की कुल संख्या चार होती है – श, ष, स, ह.

संघर्षी व्यंजन की परिभाषा

संघर्षी व्यंजन (Consonants of Friction) भाषा विज्ञान में एक महत्वपूर्ण वर्ग के व्यंजन होते हैं, जिनकी उच्चारण प्राणवायु के संघर्षपूर्वक निकलने के साथ होता है।

इन व्यंजनों के उच्चारण के दौरान मुख के विभिन्न अंग एक दूसरे के बहुत निकट आ जाते हैं, जिससे प्राणवायु के बाहर निकलने का मार्ग संकीर्ण हो जाता है। इसलिए इन व्यंजनों को “संघर्षी व्यंजन” भी कहा जाता है।

संघर्षी व्यंजनों की संख्या चार होती है, और वे इस प्रकार हैं:

  1. श (श): इसका उच्चारण स्वर यन्त्र से होता है, और इसे “तालव्य वर्ण” भी कहा जाता है। उदाहरण: शरद (Sharad), शिक्षा (Shiksha)
  2. ष (ष): इसका उच्चारण मूर्द्धा यन्त्र से होता है, और इसे “मूर्धन्य वर्ण” कहा जाता है। उदाहरण: षट्कोण (Shatkona), षड्यंत्र (Shadyantra)
  3. स (स): इसका उच्चारण दन्त यन्त्र से होता है, और इसे “दन्त्य वर्ण” कहा जाता है। उदाहरण: सुन (Sun), समय (Samay)
  4. ह (ह): इसका उच्चारण स्वर यन्त्र के बीच से होता है, और इसे “अलिजिह्वा वर्ण” कहा जाता है। उदाहरण: हम (Hum), हिंसा (Hinsa)

इन चार संघर्षी व्यंजनों का उच्चारण स्वर यन्त्र, मूर्द्धा यन्त्र, और दन्त यन्त्र के साथ होता है, जिससे उष्मा पैदा होती है और इन्हें “उष्म व्यंजन” भी कहा जाता है।

इन व्यंजनों का उच्चारण अधिकांशत: एक अक्षर विशेषज्ञ की जीभ की सहायता से होता है, जो मुख के अंदर रहती है, और प्राणवायु को बाहर निकलने के लिए उसे संकीर्ण करती है। इस प्रकार, संघर्षी व्यंजन ध्वनि और भाषा के अध्ययन में महत्वपूर्ण हैं, और वे भाषा के व्याकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

अपने बच्चों को संघर्षी व्यंजन का उच्चारण कैसे सिखाएं

संघर्षी व्यंजनों का उच्चारण सिखाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का प्रयास कर सकते हैं:

सुनने की प्रक्रिया: सबसे पहले, संघर्षी व्यंजनों की ध्वनियों को सुनने की प्रक्रिया शुरू करें। आप अपने बच्चों को उन वर्णों की ध्वनियों को सुनाएं जो संघर्षी व्यंजनों में होती हैं।

दिखाने की प्रक्रिया: बच्चों को संघर्षी व्यंजनों के वर्ण दिखाएं, जैसे कि ‘क्ष’, ‘त्र’, ‘ज्ञ’। आप वर्णों को उच्चारण करके दिखा सकते हैं और उन्हें कैसे उच्चरित किया जाता है, वह समझाएं।

उच्चारण का अभ्यास: बच्चों को संघर्षी व्यंजनों का उच्चारण करने के लिए अभ्यास करने के लिए कहें। उन्हें वर्णों को सही ढंग से बोलने के लिए प्रोत्साहित करें।

खेल और गीत: आप खेल और गीत के माध्यम से संघर्षी व्यंजनों का उच्चारण सिखा सकते हैं। बच्चों को खेल खेलने में और गीत सुनने में रुचि दिखा सकता है, और यह उनके उच्चारण कौशल को बढ़ावा देगा।

स्वतंत्र अभ्यास: आपके बच्चों को स्वतंत्र रूप से उच्चरण करने का अवसर दें। उन्हें वर्णों को बार-बार बोलने की अनुमति दें ताकि वे स्वतंत्र रूप से अभ्यास कर सकें।

सब्र और प्राशंसा: जब आपके बच्चे सही उच्चारण करते हैं, तो उन्हें प्राशंसा और स्तुति दें। सब्र रखें, क्योंकि यह एक प्रक्रिया होती है और उन्हें समय लग सकता है।

संघर्षी व्यंजनों का उच्चारण सीखने के लिए धीरज और प्रैक्टिस की आवश्यकता होती है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण भाषा कौशल हो सकता है और आपके बच्चों के भाषा कौशल को सुधार सकता है।

Conclusion Points

संघर्षी व्यंजन (Consonants of Friction) हिन्दी भाषा के व्याकरण में महत्वपूर्ण रूप से होते हैं और इनमें चार व्यंजन – श, ष, स, ह होते हैं। इन व्यंजनों का उच्चारण संघर्षपूर्वक होता है, जिससे प्राणवायु के बाहर निकलने का मार्ग संकीर्ण होता है, और इन्हें “उष्म व्यंजन” भी कहा जाता है।

इन व्यंजनों के उच्चारण के दौरान मुख के विभिन्न अंग एक दूसरे के बहुत निकट आ जाते हैं, जिससे उष्मा पैदा होती है।

संघर्षी व्यंजन ध्वनि और भाषा के अध्ययन में Important हैं, और वे भाषा के व्याकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि आपके पास इस विषय से संबंधित कोई और प्रश्न हों, तो कृपया हमसे सहायता प्राप्त करने के लिए पूछें।

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