Swar kitne prakar ke hote hain? क्या आप इस प्रश्न के उत्तर को गूगल पर खोज रहे हैं? जी हां दोस्तों गूगल ने आपको बिल्कुल सही वेबसाइट तक भेज दिया है।
इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद Hindi Varnamala के सभी स्वर के प्रकार, परिभाषा एवं उदाहरण जान पाएंगे। नीचे तक स्क्रोल कीजिए।
लेख का शुरुआत करने से पहले आपको बता दें कि हिंदी वर्णमाला में कुल अक्षरों यानि कि वर्णों की संख्या 52 होती है, जिससे स्वर एवं व्यंजन के तौर पर विभाजित किया जाता है। 13 स्वर एवं 39 व्यंजन होते हैं।
स्वर किसे कहते हैं?
स्वर मूल रूप से उन ध्वनियों को कहा जाता है, जिसके उच्चारण में किसी अन्य वर्णों की सहायता की आवश्यकता नहीं होती हो।
13 स्वर
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स्वर का उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है। स्वर के उच्चारण में जीभ का प्रयोग होता है। मुख्य रूप से स्वर का विभाजन जीभ के प्रयोग के आधार पर ही होता है।
Swar kitne prakar ke hote hain?
- उच्चारण – 3
- जिह्वा – 3
- उत्पत्ति – 2.
उच्चारण के आधार पर स्वर के कुल 3 प्रकार होते हैं
हृस्व स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण करने में कम समय लगता हो, अर्थात एक मात्रा का समय लगता हों, उन स्वरों को हृस्व स्वर कहते हैं. इसकी संख्या 4 है क्रमशः अ, इ, उ, ऋ.
दीर्घ स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में हृस्व स्वरों से दुगुना समय लगता हो, उन स्वरों को दीर्घ स्वर कहते हैं. इसकी संख्या 7 है क्रमशः आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ.
प्लुत स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण करने में हृस्व स्वर से तीन गुना समय लगता हो, उन स्वरों को प्लुत स्वर कहते हैं. कोई निश्चित संख्या नहीं है.
यह गाने रोने और दूसरे पुकारने में व्यवहृत होता है जैसे – रे मोहना! और बाप रे! आदि.
जिह्वा के आधार पर स्वर के 3 भेद होते हैं
- अग्र स्वर
- मध्य स्वर
- पश्च स्वर
अग्र स्वर – जिन स्वरों का उच्चारण में जिह्वा का अगले भाग प्रयोग होता है उसे अग्र स्वर कहते हैं जैसे: ई, इ, ए, ऐ (4).
मध्य स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्वा का मध्य भाग प्रयोग होता है उसे मध्य स्वर कहते हैं जैसे: अ (1).
पश्च स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्वा का पिछले भाग प्रयोग होता है, उसे पश्च स्वर कहते हैं जैसे: आ, ऊ, उ, ओ ,औ (5)
उत्पत्ति के आधार पर स्वर के 2 प्रकार होते हैं
- मूल
- मात्रा
मूल स्वर – जिन स्वरों की उत्पति किसे दूसरे स्वरों से नहीं होती हों, उन स्वरों को मूल स्वर कहते हैं. जैसे – अ, इ, उ, ऋ (4).
संधि स्वर – मूल स्वरों के मेल से बने हुए स्वर को संधि स्वर कहा जाता है. जैसे आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ,औ (7).
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स्वर के कुल कितने प्रकार हैं जानिए – ह्रस्व, दीर्घ, प्लुत स्वर, अग्र, मध्य, पश्च स्वर, मूल एवं संधि.
Conclusion Points
मझे लगता है कि, अब आपको साफ साफ पता चल चुका है कि हिंदी वर्णमाला में स्वर के कुल कितने प्रकार होते हैं. निष्कर्ष के तौर पर बता देते हैं. स्वर के कुल 8 प्रकार होते हैं जो तीन आधारों पर आधारित है.
मेरे प्यारे पाठक मुझे पूरा उम्मीद है कि आप के लिए यह लेख ज्ञानवर्धक रहा होगा. आपके मस्तिष्क में इससे संबंधित कोई अन्य प्रश्न है तो आप हमें बेझिझक होकर कमेंट बॉक्स में पूछिए. आपका जवाब देने में हमें बहुत ही प्रसन्नता होगी.